सूरदास जी के पद

27 Part

68 times read

1 Liked

निसिदिन बरसत नैन हमारे सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।। अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे कंचुकि-पट सूखत नहिं कबहुँ, उर बिच बहत पनारे॥ ...

Chapter

×