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निसिदिन बरसत नैन हमारे सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।। अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे कंचुकि-पट सूखत नहिं कबहुँ, उर बिच बहत पनारे॥ ...